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लेखक:

भैरप्पा
जन्म : सन् 1934।

कन्नड़ के विख्यात उपन्यासकार तथा दार्शनिक श्री एस.एल. भैरप्पा का जन्म कर्नाटक के एक गाँव ‘शान्ति शिविर’ में 1934 में हुआ था। ग्यारह वर्ष की आयु में ही सिर से माता-पिता का साया उठ गया। आप बचपन से ही मेधावी विद्यार्थी रहे। आपने मैसूर विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। महाराज सयाजीराव विश्वविद्यालय से आपको ‘सत्य तथा सौन्दर्य : अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन’ विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया गया। इस समय आप राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान के मैसूर स्थित क्षेत्रीय महाविद्यालय में रीडर हैं।

साहित्यिक : ‘धर्मश्री’ (1960) से लेकर ‘मंद्र’ (2002) तक आपके द्वारा रचे गए उपन्यासों की संख्या 19 है। उपन्यास से उपन्यास तक रचनारत रहने वाले भैरप्पा ने भारतीय उपन्यासकारों में अपना एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। आपके ‘उल्लंधन’ और ‘गृहभंग’ उपन्यास भारत की 14 प्रमुख भाषाओं में ही नहीं, अंग्रेज़ी में भी अनूदित हैं। ‘धर्मश्री’ और ‘सार्थ’ उपन्यास संस्कृत में अनूदित हैं। ‘पर्व’ महाभारत के प्रति आपके आधुनिक दृष्टिकोण का फल है, तो ‘तंतु’ आधुनिक भारत के प्रति आपकी व्याख्या का प्रतीक। ‘सार्थ’ में जहाँ शंकारचार्य जी के समय के भारत की पुनर्सृष्टि का प्रयास किया गया है, वहीं ‘मंद्र’ में संगीत लोक के विभिन्न आयामों को समर्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। रवीन्द्र, बंकिमचंद्र, शरतचंद्र, और प्रेमचंद के बाद किसी ने यदि अखिल भारतीय मनीषा और अस्मिता को शब्दांकित किया है, तो वह भैरप्पा ही हैं। आपकी सर्जनात्मकता, तत्त्वशास्त्रीय विद्वत्ता, अध्ययन की श्रद्धा और जिज्ञासु प्रवृत्ति—इन सबने साहित्य के क्षेत्र में आपको अनन्य बना दिया है। आपके अनेक उपन्यास बड़े और छोटे स्क्रीन को भी अलंकृत कर चुके हैं।

पुरस्कार : केंद्रीय साहित्य अकादेमी तथा कर्नाटक साहित्य अकादेमी (3 बार) का पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार-ऐसे ही कई पुरस्कारों से आप सम्मानित हुए हैं।

कृतियाँ :

उपन्यास : धर्मश्री, उल्लंघन, गृहभंग, सार्थ, पर्व, तंतु, गोधूलि, वंशवृक्ष, आधार, मंद्र, दायरे आस्थाओं के, साक्षी, छोर, निराकरण, जिज्ञासा, भित्ति आदि।

आधार

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 190

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आवरण

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 600

भैरप्पा का दूसरा ऐतिहासिक उपन्यास...

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उल्लंघन

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 390

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गृहभंग

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 60

इस उपन्यास की कथावस्तु तिपटूर और चन्नपट्टण तालुका प्रदेशों में 1920 से 40-50 की अवधि में घटी घटना है। ‘गृहभंग’ का प्रथम अध्याय पटवारी रामण्य के परिवार के चित्रण से प्रारंभ होता है। गंगम्मा विधवा है। उसे संस्कृति की गंध तक नहीं। उसकी जबान से निकलने वाला हर शब्द ‘गृहभंग’ का मूल कारण बनता है।   आगे...

गोधूलि

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 300

गोधूलि जीवन के प्रति आस्था और मूल्यों के संघ्रर्ष का संकेत है

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छोर

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 400

भैरप्पा की कल्पनामय यथार्थ शैली का अदभुत चमत्कार

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जिज्ञासा

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 250

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तंतु

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 695

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दायरे आस्थाओं के

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 85

प्रस्तुत है कन्नड से अनूदित उपन्यास....   आगे...

द्विधा

भैरप्पा

मूल्य: Rs. 575

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