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एक घूंट चांदनी

राकेश कुमार सिंह

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :139
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10172
आईएसबीएन :9788183618458

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

यह छोटा-सा उपन्यास प्रेम की एक बड़ी कहानी है - प्रेम की, और प्रेम की खोज की और प्रेम के विस्तार की। कहानी खोए हुए प्रेम को ढूँढने की, और मिल गए प्यार को बचाए रखने की। प्यार की कोई एक परिभाषा नहीं होती, प्यार की परिभाषा से कभी कोई रिश्ता तय भी नहीं किया जा सकता; इस तथ्य को जानते हुए भी समाज, संसार प्यार को किसी न किसी रिश्ते में बाँध देना चाहता है, जहाँ वह धीरे-धीरे अपने सत्त्व को, अपनी ऊष्मा को खो देता है। यह कथा एक अनन्त और अकुंठ प्यार को सँजोये रखने की भीतरी जद्दोजहद की कहानी है। इसकी अपनी रवानी है, जैसे प्यार की होती है... और है अपने ढंग की पढ़त भी। ‘‘...विस्तार अस्तित्व की चाह है - एक को अनन्त करती है, प्रेम अनन्त की चाह है, अनन्त को ‘एक’ में कर देती है...अनन्त, ‘एक’ में हो जाता है। यह मनुष्यता के चरम, पिंडों के गुरुत्वाकर्षण, नक्षत्रों के द्रव्यमान, चेतना की आकांक्षा, जड़ के समर्पण और अस्तित्व के सन्तुलन का घुला-मिला सत्य है... यह सिर्फ चेतना या मनुष्यता का बोध नहीं...प्रेम इतना सीमित नहीं ! स्त्री और पुरुष के मध्य का आकर्षण अस्तित्व के जिस सन्तुलन को साधता है वही आकर्षण-जनित सन्तुलन पृथ्वी और ग्रहों से लेकर अस्तित्व के रेशे-रेशे में व्याप्त है...यह हमारे अस्तित्व का पैटर्न है...भाषातीत है...अनिवर्चनीय है...यह समय के जैसा कुछ है; जिया जाए बताया न जाए !’’

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