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मिथिला का संकट

अशोक के. बैंकर

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :500
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 10239
आईएसबीएन :9788183225373

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मूल रामायण लगभग तीन हज़ार वर्ष पूर्व लिखी गयी थी। I अब असाधारण कल्पना और कहानी कहने की बेहतरीन कला के द्वारा अशोक के. बैंकर ने आज के आधुनिक पाठकों के लिए इस महाकाव्य को दोबारा प्रस्तुत किया है।

पाशविक दैत्य देखते ही देखते भारी संख्या में अयोध्या की ओर कूच कर जाते हैं। राम अपने परिवार की रक्षा के लिए नहीं लौट पाते। उन्हें असुरों की सेना से निपटने के लिए कुछ वीर योद्धाओं का साथ देने मिथिला नगरी जाना पड़ता है, जो विनाश के कगार पर खड़ी है। दैत्यराज रावण के साथ होने वाले युद्ध में सहायता के लिए क्या राम को गुप्त देव - अस्त्र मिल पता है ?

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