लोगों की राय

नई पुस्तकें >> हम हश्मत भाग-1

हम हश्मत भाग-1

कृष्णा सोबती

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :271
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10248
आईएसबीएन :9788126723621

Like this Hindi book 0

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

हम हशमत-1 ‘हम हशमत’ बोलते शब्द-चित्रों की एक घूमती हुई रील है। एक विस्तृत जीवन-फलक जैसे घूमता है और सामने एक के बाद एक चित्र उभरते जाते हैं - साफ़ और जीवंत। और, अंत में जब पूरी रील घूम जाती है तो एक कथा अपने-आप बुन जाती है - एक लंबी जीवन-चित्र-कथा, जिसमें हर चित्र घटना है और हर चेहरा नायक। इन चेहरों में विख्यात लेखक हैं, पत्रकार हैं और अन्य अज़ीज़ हैं जिनमें से बहुतेरे आपके परिचित हैं। पार्टियाँ और दावतें आपने भी देखी होंगी, लेकिन टैक्सी ड्राइवर और नानबाई जैसे लोगों के बारे में आप शायद न जानने का भाव दिखाएँ, जबकि वास्तव में आप इन्हें भी जान रहे होते हैं - किसी भी मोड़ पर, किसी भी समय इनसे आपकी मुलाक़ात हो जाती है। यही चेहरे हैं जिनसे ‘हशमत’ मिलते हैं और जो एक-दूसरे से अलग होकर भी परस्पर जुड़े हुए हैं तथा उसी जीवन-प्रवाह के अंग हैं जिसमें हम-आप और सारे ही लोग बह रहे हैं। ‘हशमत’ को जीवन के सही और सम्पूर्ण मूल्यों की शिनाख्त की बेचैनी है। अंतरंग बातचीत और अपनी तटस्थ दृष्टि के ज़रिए वे साहित्य के वास्तविक संदर्भों को खोजना और समाज व व्यक्ति के सत्य को उजागर करना चाहते हैं, वैचारिक गुत्थियों और व्यवस्था मूलक पेचीदगियों को सुलझाना चाहते हैं। और, अंत में जब ‘हशमत’ अपना परिचय भी दे डालते हैं तो पाठकीय जिज्ञासा सुखद विस्मय में बदल जाती है क्योंकि ‘हशमत’ के रूप में स्वयं कृष्णा सोबती हैं जिन्होंने ‘हम हशमत’ जैसी समर्थ रचना द्वारा फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वह एक सिद्धहस्त कथा-लेखिका के साथ-साथ सार्थक रचना दृष्टि से संपन्न शब्द-चित्रकार भी हैं।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book