विविध उपन्यास >> किस्सा बेसिरपैर किस्सा बेसिरपैरप्रभात त्रिपाठी
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यह उपन्यास स्मृतियों की किस्सागोई है जिसके केन्द्र में इतिहास प्रवर्तक घटनाएँ और व्यक्तित्व नहीं हैं। हो भी नहीं सकते; क्योंकि वे हमारे दैनिक जीवन से दूर कहीं, वाकई इतिहास नाम की उस जगह में रहते होंगे, जहाँ तनखैये इतिहासकार बगल में कागज-कलम-कूची लेकर बैठते होंगे।
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