लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> लोक का प्रभाष

लोक का प्रभाष

रामाशंकर कुशवाहा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :312
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10294
आईएसबीएन :9788126730544

Like this Hindi book 0

शब्द और कर्म की एकता के विश्वासी प्रभाष जोशी ने जन-संबद्ध पत्रकारिता के एक नए दौर की शुरुआत की। उनके द्वारा सम्पादित ‘जनसत्ता’ अपने समय की जन-संवेदना का नायाब दस्तावेज़ है।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रभाष जोशी ने हिन्दी पत्रकारिता को नए मुकाम तक पहुँचाया। शब्द और कर्म की एकता के विश्वासी प्रभाष जोशी ने जन-संबद्ध पत्रकारिता के एक नए दौर की शुरुआत की। उनके द्वारा सम्पादित ‘जनसत्ता’ अपने समय की जन-संवेदना का नायाब दस्तावेज़ है। हिन्दी पत्रकारिता के विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभानेवाले प्रभाष जोशी के जीवन की यह कहानी उनके समय की भी कहानी है, क्योंकि उनके लिखने और जीने की एक ही मंजि़ल थी—लोक-संबद्धता। इस लोक-संबद्ध व्यक्तित्व की जीवन-गाथा के अनेक पड़ाव हैं। इस जीवनी में आपको उन पड़ावों का विस्तृत और प्रामाणिक विवरण मिलेगा। प्रभाष जी के व्यक्तिगत जीवन के अनजाने प्रसंगों से आप रू-ब-रू होंगे। उनके सार्वजनिक जीवन के निर्भय सोच के सन्दर्भों से आप अवगत होंगे। हिन्दी के जीवनी साहित्य की परम्परा में प्रभाष जी की यह शोधपरक जीवनी एक नई पहल है। प्रभाष जी की लोक-संबद्ध जीवन-दृष्टि को समझने और उसका विस्तार करने में यह जीवनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book