लोगों की राय

कहानी संग्रह >> शादी का जोकर

शादी का जोकर

अब्दुल बिस्मिल्लाह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10304
आईएसबीएन :9788126724987

Like this Hindi book 0

लेखक ने आम जिंदगी से झांकती परेशानी, पशेमानी और कशमकश से इन कहानियों के सूत्र सहेजे हैं। पहली ही कहानी ‘खून’ रिश्तों की हिफाजत करनेवाले शख्स और बेमुरव्वत दुनिया की दास्तान है।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

शादी का जोकर वरिष्ठ कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह का नया कहानी-संग्रह है। इस संग्रह में सत्रह कहानियाँ हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी रचनाशीलता का प्रस्थान व्यापक सामाजिक सरोकारों से निर्मित किया था। उपन्यासों और कहानियों की सार्थक व् यशस्वी रचना-यात्रा करने के बाद उनमे नई तरह की सादगी जगमगाने लगी है।

प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ सक्रीय शब्दों में व्यक्त हुई हैं। लेखक ने आम जिंदगी से झांकती परेशानी, पशेमानी और कशमकश से इन कहानियों के सूत्र सहेजे हैं। पहली ही कहानी ‘खून’ रिश्तों की हिफाजत करनेवाले शख्स और बेमुरव्वत दुनिया की दास्तान है। ‘त्राहिमाम’, ‘कैलेण्डर’, ‘महामारी’, ‘तीसरी औरत’ सरीखी रचनाएँ रेखांकित करती हैं कि पठनीयता और सार्थकता की सहभागिता से स्मरणीय का जन्म होता है। यह उल्लेखनीय है कि एक नैतिक निष्कपट किस्सागोई अब्दुल बिस्मिल्लाह की पहचान है। सामाजिक अविश्वास और उत्पीडन के प्रसंग को ‘शादी का जोकर’ में अद्भुत अभिव्यक्ति मिली है। बारिश होने पर गाँव की बरात में आए दिल्ली के कला रसिकों का भागना और कला की दशा का बखान ‘तूफानी पहलवान’ के इन शब्दों में है-‘अब सिर्फ बच गई अमराई में दोनों चारपाइयाँ, जो भीगती रहीं उस धारासार वर्षा में और आम के ताने से चिपटे खड़े रहे तूफानी पहलवान हाथ जोड़े। भीगती रही कांधे से लटकी उनकी ढोलक और उसकी डोरियों से टपकता रहा बूँद-बूँद पानी टप्प-टप्प...।’ जाहिर है कि ‘शादी का जोकर’ एक उल्लेखनीय कहानी-संग्रह है। कथा-रस के साथ समकालीन सभ्यता में व्याप्त असमंजस की अभिव्यक्ति इसकी विशेषता है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book