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अपभ्रंश भाषा और साहित्य

राजमणि शर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10391
आईएसबीएन :9789326354288

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अपभ्रंश को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के जननी कहा गया है

अपभ्रंश को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के जननी कहा गया है। भारतीय इतिहास में यह एकमात्र भाषा ही नहीं, अपितु एक ऐसा सहज एवं गतिशील जन-आन्दोलन है जो किसी का संस्कार या वरदहस्त पाए बिना लगभग हजार वर्ष तक समस्त भारत को झंकृत करता रहा और हर आधुनिक भारतीय भाषा को नया रूप-आकार देते हुए उसे संवर्द्धित करता रहा।

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