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लेख-निबंध >> ढलान से उतरते हुए

ढलान से उतरते हुए

निर्मल वर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :220
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10406
आईएसबीएन :812631284x

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निर्मल वर्मा के निबन्धों की सार्थकता इस बात में है कि वे सत्य को पाने की सम्भावनाओं के नष्ट होने के कारणों का विश्लेषण करते हुए उन्हें पुनः मूर्त करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं.

निर्मल वर्मा के निबन्धों की सार्थकता इस बात में है कि वे सत्य को पाने की सम्भावनाओं के नष्ट होने के कारणों का विश्लेषण करते हुए उन्हें पुनः मूर्त करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं. निर्मल वर्मा लिखते हैं कि समय की उस फुसफुसाहट को हम अक्सर अनसुनी कर देते हैं, जिसमें वह अपनी हिचकिचाहट और संशय को अभिव्यक्त करता है क्योंकि वह फुसफुसाहट इतिहास के जयघोष में डूब जाती है. निर्मल वर्मा के ये निबन्ध इतिहास के जयघोष के बरक्स समय की इस फुसफुसाहट को सुनने की कोशिश हैं.

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