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उपन्यास >> पंचनामा

पंचनामा

वीरेन्द्र जैन

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10450
आईएसबीएन :9788126314515

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अनाथ बेटे-बेटियों के परिवेश को अनाथ आश्रम के सन्दर्भ में रेखांकित करता यह उपन्यास 'पंचनामा' हालाँकि एक पारम्परिक और आदर्शवादी नायक की छवि प्रस्तुत करता है, लेकिन….

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अनाथ बेटे-बेटियों के परिवेश को अनाथ आश्रम के सन्दर्भ में रेखांकित करता यह उपन्यास 'पंचनामा' हालाँकि एक पारम्परिक और आदर्शवादी नायक की छवि प्रस्तुत करता है, लेकिन उपन्यास समाप्त होने से पहले बहुत दूर तक यह पंचनामा न तो किसी एक नायक का है और न किसी अनाथ का, बल्कि पंचनामा है उस समाज का जो अनाथ का दर्द नहीं समझ पता; और है उस व्यवस्था का जिसने अनाथ-आश्रम जैसी संस्थाओं को जन्म दिया है.

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