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सर्जना-पथ के सहयात्री

निर्मल वर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10457
आईएसबीएन :9788126316243

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निर्मल वर्मा निश्चय ही हिन्दी के उन रचनाकारों में आते हैं जिन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से अपना आत्मीय, जादुई और निराला संसार रचा है.

निर्मल वर्मा निश्चय ही हिन्दी के उन रचनाकारों में आते हैं जिन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से अपना आत्मीय, जादुई और निराला संसार रचा है. उन्होंने समय-समय पर अपने प्रिय लेखकों-कलाकारों पर लिखा है. इस पुस्तक में देश के लगभग तमाम महत्त्वपूर्ण रचनाकारों--प्रेमचन्द, महादेवी वर्मा, हजारीप्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय, रेणु, मुक्तिबोध, भीष्म साहनी, धर्मवीर भारती, मलयज और चित्रकारों - कलाकारों---हुसेन, रामकुमार, स्वामीनाथन पर तो आलेख हैं ही बोर्खेज, नायपाल, नाबोकोव, राब्बग्रिये और लैक्सनेस पर भी बेहद संजीदगी और तरल संवेदना से लैस रचनाएँ संकलित हैं.

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