लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> भगवान् और उनकी भक्ति

भगवान् और उनकी भक्ति

स्वामी रामसुखदास

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1046
आईएसबीएन :81-293-0573-9

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

288 पाठक हैं

भगवान् और उनकी भक्ति ...

Bhagvan Aur Unki Bhakti -A Hindi Book by Swami Ramsukhdas - भगवान् और उनकी भक्ति - स्वामी रामसुखदास

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

।।श्रीहरि:।।

निवेदन

भगवद्गीता एक ऐसा विलक्षण ग्रन्थ है, जिसका आजतक न कोई पार पा सका, न पार पा पाता है, न पार पा सकेगा और न पार पा ही सकता है। गहरे उतरकर इसका अध्ययन मनन करने पर नित्य नये-नये विलक्षण भाव प्रकट होते रहते हैं। हमारे परमश्रद्धेय श्रीस्वामी महाराज को भी इस अगाध गीतार्णव में गोता लगाने पर अनेक अमूल्य रत्न मिले हैं और अब भी मिलते जा रहे हैं। पिछले वर्ष मथानिया (जोधपुर) में चातुर्मास के समय भी आपको गीता में से भगवान् के सगुण-स्वरूप तथा भक्ति-संबंधी अनेक विलक्षण भाव मिले। उन्हीं भावों को लेकर प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गयी है। आशा है, विचारशील और भगवत्प्रेमी साधकों को यह पुस्तक एक नयी दृष्टि प्रदान करेगी और सुगमतापूर्वक भगवत्प्राप्ति मार्ग दिखायेगी।
पाठकों से विनम्र निवेदन है कि वे इस पुस्तक को मनोयोगपूर्वक पढ़ें, समझें और लाभ उठायें।

-प्रकाशक

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book