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लेख-निबंध >> साहित्य का आत्म-सत्य

साहित्य का आत्म-सत्य

निर्मल वर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10476
आईएसबीएन :9788126319473

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निर्मलजी के निबन्धों के चिन्तन के केंद्र में मात्र साहित्य ही नहीं है बल्कि, उसमें उत्तर-औपनिवेशिक भारतीय समाज, उसका नैतिक-सांस्कृतिक विघटन और मनुष्य का आध्यात्मिक मूल स्वरूप, भारतीय संस्कृति का बहुकेन्द्रित सत्य आदि महत्त्वपूर्ण सवाल समाहित हैं

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