लोगों की राय

जैन साहित्य >> मूकमाटी-मीमांसा (बृहत् ग्रन्थ, तृतीय खंड)

मूकमाटी-मीमांसा (बृहत् ग्रन्थ, तृतीय खंड)

आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, प्रभाकर माचवे

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :558
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10492
आईएसबीएन :9788126314126

Like this Hindi book 0

'मूकमाटी-मीमांसा' में समीक्षकों ने प्रयास किया है कि आलोच्य ग्रन्थ का कथ्य उभरकर पाठकों के समक्ष स्पष्ट रूप से आ जाये.

मूकमाटी' पर केन्द्रित विविध आयामी समीक्षाओं के प्रस्तुत संकलन 'मूकमाटी-मीमांसा' में समीक्षकों ने प्रयास किया है कि आलोच्य ग्रन्थ का कथ्य उभरकर पाठकों के समक्ष स्पष्ट रूप से आ जाये. एतदर्थ धर्म, दर्शन, अध्यात्म, काव्य आदि विभिन्न कोणों से उसे देखा-परखा गया है. स्वयं रचनाकार मानता है कि जैन प्रस्थान के कुछ मूलभूत सिद्धान्तों के उद्घाटन हेतु इस कृति का सृजन हुआ है. ये समीक्षाएँ पाठ या पाठकवादी दृष्टि से नहीं, अपितु कृतिकार की कृति को केन्द्र में रखकर इस प्रकार प्रस्तुत हुई हैं की जिज्ञासु एवं रसिक पाठक रचनाकार के कहे-अनकहे की गहराइयों से संवाद लाभ कर सके.

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book