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जैन साहित्य >> जैन दर्शन में नयवाद

जैन दर्शन में नयवाद

सुखनन्दन जैन

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10509
आईएसबीएन :9788126319008

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भारतीय दर्शन के क्षेत्र में 'नयवाद' जैनाचार्यों की एक मौलिक देन है.

भारतीय दर्शन के क्षेत्र में 'नयवाद' जैनाचार्यों की एक मौलिक देन है. नयवाद का जैनदर्शन में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. विद्वान लेखक ने सम्पूर्ण जैन वाङ्मय के आलोक में तथा अन्य भारतीय दर्शन की तुलना में नयवाद का एक ऐसा समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है जो दर्शन के क्षेत्र में नए तथ्यों के उद्घाटन के साथ-साथ अपनी उपयोगिता एवं महत्त्व को उद्घोषित करता है. इस ग्रन्थ में कुल पाँच अध्याय हैं. इनमें लेखक ने जैन वाङ्मय में विवेचित अन्यतम उपाय 'नय' के स्वरुप को स्पष्ट करते हुए प्रमाण के साथ उसके अन्तर को विस्तार से निरुपित करने का प्रयास किया है.

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