लोगों की राय

जैन साहित्य >> संगीत समयसार

संगीत समयसार

आचार्य पाश्र्वनाथ

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :372
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10527
आईएसबीएन :9788126317622

Like this Hindi book 0

जैनाचार्य पार्श्वदेव (13वीं शती ई.) कृत संस्कृत का यह प्राचीन ग्रन्थ भारतीय संगीतशास्त्र के इतिहास की एक अचर्चित किन्तु महत्त्वपूर्ण कड़ी है.

जैनाचार्य पार्श्वदेव (13वीं शती ई.) कृत संस्कृत का यह प्राचीन ग्रन्थ भारतीय संगीतशास्त्र के इतिहास की एक अचर्चित किन्तु महत्त्वपूर्ण कड़ी है. 'संगीत समयसार' इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन युग में जैन आचार्य आध्यात्मिक तत्त्व-चिन्तन के साथ-साथ आयुर्वेद, ज्योतिष एवं संगीत जैसी विद्याओं में भी पारंगत होते थे. उन्होंने इन विषयों का गहराई से चिन्तन-मनन करने के उपरान्त मौलिक विश्लेषण भी किया है.

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book