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जैन साहित्य >> जैन तत्त्वविद्या

जैन तत्त्वविद्या

मुनि प्रमाणसागर

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :412
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10529
आईएसबीएन :8126307838

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चार अध्यायों में विभक्त इस ग्रन्थ में प्रथक-प्रथक चार अनुयोगों का प्रतिपादन है...

चार अध्यायों में विभक्त इस ग्रन्थ में प्रथक-प्रथक चार अनुयोगों का प्रतिपादन है. कुल दो सौ सूत्रों में सीमित इस लघुकाय ग्रन्थ में जैन सिद्धान्त, तत्त्व और आचार के समस्त अंग समाहित हैं. अत्यन्त संक्षिप्त और सीमित सूत्रों द्वारा समग्र जैनागम की प्रस्तुति इस कृति का अनुपम वैशिष्ट्य है. प्रस्तुत ग्रन्थ के रचयिता आचार्य माघनन्दि योगीन्द्र (बारहवीं शताब्दी) हैं.

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