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भगवती चरण वर्मा की सम्पूर्ण कहानियाँ

भगवतीचरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :368
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11045
आईएसबीएन :9788126705979

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भगवतीचरण वर्मा की संपूर्ण कहानियाँ लब्धप्रतिष्ठ कथाकार भगवतीचरण वर्मा की कहानियों में हमारे जीवन के सुख-दुख, प्रेम-घृणा, अहं, अन्ध-आस्था, राजनीति का छिछोरापन और धार्मिक उन्माद का जीवंत चित्रण तो मिलता ही है, तरल संवेदनाओं की एक सतत प्रवहमान धारा भी दिखती है। कहानी का विषय चाहे कुछ भी हो, भगवतीचरण वर्मा की किस्सागोई का शिल्प ऐसा अनूठा है कि घटनाएँ, स्थितियाँ और पात्रों के हावभाव हमारे सामने साकार हो उठते हैं। ‘दो रातें’, ‘रेल में’, ‘इंस्टालमेंट’, ‘आवारे’ आदि दर्जनों कालजयी कहानियाँ अपने यथार्थ बोध और सामाजिक चेतना के कारण आज भी प्रासंगिक हैं। यह उनके कथाकार की सफलता है कि अपनी तरफ से बिना कुछ कहे कहानियों के माध्यम से ही वे सब कुछ कह जाते हैं। इसीलिए विचारों की बोझिलता से ये कहानियाँ मुक्त हैं। व्यंग्य का पुट इन कहानियों की अतिरिक्त विशेषता है। ‘प्रायश्चित्त’ जहाँ अंध-धार्मिक आस्था पर चोट करती है, वहीं ‘खानदानी हरामजादे’ राजनीतिक छिछोरेपन को पूरी तरह उघाड़कर रख देती है। ‘पराजय और मृत्यु’ जीवन की पक्षधरता की कहानी है तो ‘शस्त्र और चिंगारी’ उत्तरदायित्व के बोझ तले पिसती एक युवती की दास्तान कहती है। ‘दो बाँके’ और ‘मोर्चाबंदी’ छर्हिं का जीवंत चित्रण बन गई हैं। उपन्यासों के लिए विशेष तौर पर जाने जानेवाले भगवती बाबू की कहानियों का यह समग्र संकलन उनके कथाकार का एक नया आयाम खोलता है।

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