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आई एस आई एस और इसलाम में सिविल वार

सतीश पेडणेकर

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12108
आईएसबीएन :9788177213560

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हत्या, बलात्कार, नरसंहार, सिर कलम करना, लोगों को जिंदा जलाना, जिंदा गाड़ना, लोगों को पिंजरे में बंद करके आग लगा देना, गुलाम बनाना, उनकी बोली लगवाना, सेक्स स्लेव बनाना, बिना किसी मुकदमे के क्रूर सजाएँ देना, गैर-सुन्नियों पर तरह-तरह के जुल्म और यातनाएँ देने के जितने भी तरीके हैं, उनका मिला-जुला नाम है — इसलामिक स्टेट। इराक और सीरिया, दोनों देशों के ब्रिटेन जितने भू-भाग पर कब्जा करके बने इस दो साल पुराने देश का यही नाम है। इन दो सालों में उसने सारी दुनिया की रात की नींद और दिन का चैन हराम किया हुआ है। हर नया दिन आई.एस. की यातनाओं की कोई नई कहानी लेकर आता है और लोगों में नर्क की यातनाओं की जो पौराणिक कल्पना है, उसकी याद ताजा कर देता है।

आई.एस.आई.एस. की हिंसक कारगुजारियाँ केवल अपने इलाके तक ही सीमित नहीं हैं, वरन् दुनिया के कई देशों में वह आतंकी घटनाओं का नंगा नाच दिखा चुका है। रूस और अमेरिका जैसी महाशक्तियों समेत लगभग अस्सी देश, उसके खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। आसमान से लगातार उस पर मिसाइलें और बम बरसाए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी वह अपने दानवी रूप को दिखा रहा है। इस पुस्तक में दिया गया आई.एस.आई.एस. की कुत्सित मनोवृत्ति और काले कारनामों का लेखा-जोखा पाठक के अंतर्मन को उद्वेलित कर देगा।

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