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संस्कृति >> लोकसाहित्य में राष्ट्रीय चेतना लोकसाहित्य में राष्ट्रीय चेतनाशान्ति जैन
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लोकगीतों में राष्ट्रीय चेतना विविध रूपों में चित्रित है। कहीं तिरंगे झंडे की लहर है, कहीं चरखे का स्वर है, कहीं मातृभूमि की महिमा का गुणगान है, तो कहीं देश पर मर-मिटने का अरमान है।
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