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परियों के देश में

रस्किन बॉण्ड

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12152
आईएसबीएन :9789352663187

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मेरे एजेंट के रूप में उसने एक फिल्म कंपनी में मेरे लिए काम का जुगाड़ किया था। करतब (स्टंट) इतना साधारण किस्म का था कि उसका उल्लेख करना आवश्यक नहीं है। जब काम खत्म हो गया और अपना पैसा लेने का समय आया तो मैं ऐलन के पास गया। कंपनी ने उसे पहले ही भुगतान कर दिया था — मैंने अपना पारिश्रमिक माँगा।

‘तुम्हें उसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।’ उसने जवाब दिया।
‘मुझे अभी चाहिए।’ मैंने कहा और अपना पैसा माँगा।
‘अभी तो नहीं मिल सकता। अच्छा, समय आने पर मैं तुम्हें भुगतान कर दूँगा।’
‘यानी जब तुम देना चाहोगे, तब दोगे, क्यों ?’

‘ऐसा ही है।’
‘तो ठीक है,’ मैंने कहा, ‘मुझे वह मंजूर नहीं, इसलिए मैंने छोड़ दिया।’ चूँकि उसने मेरा पैसा नहीं दिया, मैंने उसके एक पैराशूट में छेद कर दिया।
लेकिन ऐलन और उसका सबकुछ अंदर तक निकृष्ट एवं निहायत घटिया था। वह पैराशूट नकली था।

—इसी संग्रह से

प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड किस्सागोई के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी कहानियाँ केवल रोचक और पठनीय ही नहीं होतीं, वरन् वे सामाजिक ताना-बाना भी बुनती हैं। उनमें हास्य का पुट होता है, संबंधों की गरमाहट होती है, पारस्परिकता का भाव होता है; इसलिए पाठक स्वयं को उन कहानियों के पात्रों में देखता है।

कुछ श्रेष्ठ मर्मस्पर्शी-संवेदनशील कहानियों का संकलन है ‘परियों के देश में’।

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