नई पुस्तकें >> तीन दिन दो रातें तीन दिन दो रातेंवीरेन्द्र जैन
|
0 |
कुशल व्यवसायी सिर्फ माल नहीं बेच रहे, बड़ी चालाकी से विचार भी प्रत्यारोपित कर रहे हैं। उदारवाद के पीछे की चालाकी और चतुराई को उजागर करना नितांत आवश्यक हो गया है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book