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पूर्व मध्यकालीन समाज

डॉ. रत्ना

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :212
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12287
आईएसबीएन :9789386863577

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रस्तुत पुस्तक में पूर्वमध्यकालीन सामाजिक संरचना को स्पष्ट करने का प्रयास किया है, क्योंकि पूर्वमध्यकाल प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण काल माना जाता है। इस काल के दौरान राजनीतिक मंच पर ही केवल उतार-चढाव नहीं आये अपितु सामाजिक और आर्थिक धरातल पर भी अनेक परिवर्तन दृष्टिगत होते है। परिणामस्वरुप भारतीय सामाजिक संरचना नया रूप ग्रहण करती है। इसी कारण पूर्वमध्यकालीन सामाजिक आर्थिक धरातल पर निहित व्यावसायिक समुदायों का अर्थपूर्ण विवेचना करने का पूर्ण प्रयास किया है और समाजार्थिक घटक के रूप में मान्य कृषि, व्यापार, उद्योग तथा अन्य विविध व्यवसायों से सम्बन्धित व्यावसायिक समुदायों का गहराई के साथ अध्ययन करना ही हमारा मुख्य केंद्र रहा है। साथ-ही-साथ पेशेवर समुदायों की सामाजिक आर्थिक स्थिति का निरूपण तत्कालीन अभिलेखीय एवं साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर किया है और उनकी विविध व्यावसायिक गतिविधियों का विश्लेषण करना हमारा मुख्य ध्येय रहा है। जैसाकि स्पष्ट है कि भारतीय सामाजिक आर्थिक जीवन में पेशेवर समुदायों के स्थान निर्धारण बिना सामाजिक जीवन का चित्रण एकांगी रह जायेगा।

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