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अतिरिक्त सतरें

अनीता राकेश

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :63
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12304
आईएसबीएन :9788183618977

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘चन्द सतरें और’, ‘सतरें और सतरें’, ‘अन्तिम सतरें’ और अब यह ‘अतिरिक्त सतरें’ — यह श्रृंखला अनीता राकेश की उन यादों का सफर है जिन्हें उन्होंने मोहन राकेश के साथ बिताए अपने जीवन में सँजोया। इस सफर में उन्होंने अपनी उन खुशियों, चुनौतियों, परेशानियों और दुखों का बेबाक वर्णन किया है जो उनके आजीवन अनुभव का हिस्सा होकर रह गए। राकेश से मुलाकात के समय वह स्वयं लेखक नहीं थीं, लिखना उन्होंने बाद में शुरू किया, जिसके पीछे कुछ राकेश की प्रेरणा का बल था, और कुछ नए अनुभवों की अभिव्यक्ति का आवेग। परिणाम यह कि कहानीकार के रूप में भी उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन ज़्यादा वक्त नहीं बीता कि मोहन राकेश अकाल ही हमसे और उनसे विदा हो गए। यह घटना उनके लिए एक बड़ी त्रासदी थी जिससे उबरने की प्रक्रिया में ही इन पुस्तकों की रचना सम्भव हुई और अनीता जी के लिए यह प्रक्रिया आज दशकों बाद भी जारी है। ‘अतिरिक्त सतरें’ में उन्होंने वापस उन दिनों को टटोला है जब वे राकेश से मिलीं, उनको समझना शुरू किया और अन्ततः एक सपने के सच होने की तरह वे एक हो गए। उम्मीद है सतरें-श्रृंखला की अन्य पुस्तकों की तरह यह कड़ी भी पाठकों को अपने मन के नजदीक लगेगी।

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