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अद्भुत ब्राह्मण्ड

चन्द्रमणि सिंह

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :364
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12336
आईएसबीएन :9788180319372

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

यह पुस्तक ब्रह्माण्ड के बनने की जिज्ञासा, बने रहने की उम्मीद और एक दिन उसके ख़त्म होने की आशंकाओं को तमाम वैज्ञानिक साक्ष्यों और आयामों के परिप्रेक्ष्य में सहज-सरल तरीके से प्रस्तुत करती है। ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खोजों और उसके क्रिया-कलापों तथा घटनाओं में उलझने-उलझाने के बजाय उनको सुलझने-सुलझाने की दृष्टि से परिभाषित करने का अद्भुत मिसाल पेश करती है।

लेखक ने न्यूटन, आइन्स्टीन से लेकर आज के वैज्ञानिकों तक के नियमों, सिद्धांतों और खोजों के परिप्रेक्ष्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एवं विकास-क्रम, उसके विशाल होने की सम्भावना, आकाशगंगाओं में घटनाओं के चक्र आदि को काल के भीतर और बाहर देखने के लिए कैनवस की सफल रचना की है। साथ ही, यह पुस्तक ब्रह्माण्ड में कृष्ण पदार्थ और कृष्ण ऊर्जा के अस्तित्व तथा महत्त्व; सममिति और दिक् का स्वरुप; महाविस्फोट की पुनर्रचना; बहुब्रह्माण्डीय परिकल्पना; क्वांटम-सिद्धांत; प्रकृति के मौलिक सिद्धांतों का एकीकरण; सूत्रिका-सिद्धांत की भूमिका; ब्रह्माण्डीय संयोग; सौन्दर्यमयी ज्यामिति; गुरुत्व एवं ब्रह्माण्ड आदि पाठों के अंतर्गत विज्ञान-सम्मत सूत्रों को विश्लेषित और परिभाषित करने की अभिनव दृष्टि प्रदान करती है।

‘अदभुत ब्रह्माण्ड’ एक ऐसी पुस्तक है जो ब्रह्माण्ड की अंतर्गुम्फित सत्ताओं के रहस्य के विलोम में खोज की वह यथार्थवादी भूमिका रेखांकित करती है जो ब्रह्माण्डकी में अभिरुचि रखनेवाले पाठकों को अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति चेतना-संपन्न तो बनाती ही है, हिंदी में विज्ञान विषयक पुस्तकों की कमी की भरपाई भी करती है।

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