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दोराहे पर वाम

प्रफुल्ल बिदवई

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12369
आईएसबीएन :9789388753630

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

एक बड़ा प्रासंगिक सवाल उठता है कि भारत में राजनीतिक दलों के लिए वैधता के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में वामपंथी राजनीति उस सीमा तक क्यों नहीं विकसित हो पाई जैसा कि बेहिसाब अन्याय और बढ़ती जाती असमानता वाले समाज में अपेक्षित था। इस पुस्तक के सरोकार का विषय सीमित है : यह प्राथमिक रूप से संसदीय साम्यवादी दलों पर केन्द्रित है। आशा है कि यह पुस्तक राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी दलों के कामकाज के विश्लेषण को उनके विचारधारात्मक आग्रहों, रणनीतिक परिप्रेक्ष्यों, राजनीतिक गोलबन्दियों के दृष्टिकोणों और संगठनात्मक प्रणालियों तथा व्यवहारों के साथ जोड़कर इस शून्य को भरने में मदद करेगी।

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