लोगों की राय

नई पुस्तकें >> भक्ति के तीन स्वर मीराँ सूर कबीर

भक्ति के तीन स्वर मीराँ सूर कबीर

जॉन स्ट्रैटन हौली

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :303
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 12389
आईएसबीएन :9789388933100

Like this Hindi book 0

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अतीत से सीखना जरूर चाहिए, लेकिन सीखा तभी जा सकता है जब हम अतीत के अतीतपन का सम्मान करें। वर्तमान के राजनीतिक या सामाजिक द्वंद्वों को अतीत पर आरोपित करने से वर्तमान और अतीत दोनों की समझ धूमिल होती है। इस पुस्तक के आरम्भ में ही हौली इसे ‘ऐतिहासिक तर्क और विवेक के प्रति अपील’ कहते हैं, इन कवियों की रचनाशीलता और इनके समय के साथ कल्पनापूर्ण, आलोचनात्मक संवाद के महत्त्व पर बल देते हैं। ऐसे संवाद के बिना भक्ति-संवेदना का संवेदनशील अध्ययन असम्भव है। हौली इस पुस्तक में इन तीन कवियों से जुड़े विशिष्ट सवालों—समय, रचनाओं की प्रामाणिकता, संवेदना का स्वभाव, लोक-स्मृति में उनका स्थान—आदि पर तो विचार करते ही हैं, वे इनके बहाने भक्ति-संवेदना से जुड़े व्यापक प्रश्नों पर भी विचार करते हैं। पाठ-निर्धारण ऐसा ही प्रश्न है। इसी तरह का सवाल है निर्गुण-सगुण विभाजन का।

— पुरुषोत्तम अग्रवाल सम्पादक, भक्ति-मीमांसा श्रृंखला

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book