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खंडहर बोलते हैं

गुणाकर मुले

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12405
आईएसबीएन :9788126720446

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खंडहर बोलते हैं

किसी देश के इतिहास और सांस्कृतिक विकास-क्रम को जानने-समझने में अन्य स्रोतों के साथ ऐतिहासिक इमारतों और किलों का भी खासा योगदान होता है। वे हमारे लिए अतीत का साक्षात् आईना होते हैं। इतिहास, पुरातत्व, पुरालिपि और मुद्राशास्त्र के उद्भट विद्वान और विज्ञान को सरल भाषा में सामान्य पाठक के लिए सुगम बनाने वाले जनप्रिय लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक हमें उन खंडहरों की यात्रा पर ले जाती है, जिनमें हमारे इतिहास की लोमहर्षक गाथाएँ छिपी हैं। कौन-सा किला कब अस्तित्व में आया, उसका निर्माण किसने कराया, वह किन युद्धों का साक्षी रहा, इन सब तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी के साथ यह पुस्तक तत्कालीन राजवंशों के चित्रों, उस समय प्रयोग में आने वाले अस्त्रों, किलों की बनावट, निर्माण कला और हवेलियों आदि का भी सम्यक् ब्यौरा उपलब्ध कराती है। बीच-बीच में नक्शों के द्वारा भी विषय को स्पष्ट किया गया है। कहना न होगा कि इतिहास के रोमांचक गलियारों का रहस्य खोलती यह पुस्तक न सिर्फ इतिहास के विद्यार्थियों के लिए, बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है।

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