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भाषा एवं साहित्य >> अद्यतन भाषा विज्ञान प्रथम प्रामाणिक विमर्श

अद्यतन भाषा विज्ञान प्रथम प्रामाणिक विमर्श

पाण्डेय शशिभूषण शितान्शु

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :264
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13033
आईएसबीएन :9788180316982

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अद्यतन भाषाविज्ञान के विभित्र प्रकारों का ज्ञान प्राप्त करने के. लिए हिन्दी में अकेली पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक!

भाषाविज्ञान पर अब तक लिखित सभी पुस्तकों से अलग एवं विशिष्ट! इसके विकास के शीर्ष,.? - प्रगामी चरण-अद्यतन भाषाविज्ञान-को व्यापकता-गहनता में विवेचित करने वाली तथा संक्षेप में भाषाविज्ञान के विकास-क्रम को निरूपित करने वाली प्रथम प्रामाणिक पुस्तक! यह पुस्तक एक ओर सामान्य भाषाविज्ञान से वर्णनात्मक, संरचनात्मक भाषाविज्ञान तक, मनोभाषाविज्ञान से तंत्रिका- भाषाविज्ञान तक, व्यवहारवादी भाषाविज्ञान से विकासात्मक भाषाविज्ञान तक, समाज- भाषाविज्ञान से संभाव्यतापरक भाषाविज्ञान तक, विवेचनात्मक भाषाविज्ञान से पाठात्मक भाषाविज्ञान तक, डेकार्टवादी भाषाविज्ञान से संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान तक, अदालती भाषाविज्ञान से गाणितिक और बीज-गाणितिक भाषाविज्ञान तक, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान से अनुप्रयुक्तत भाषाविज्ञान तक, संगणक भाषा विज्ञान से कॉपर्स भाषाविज्ञान तक बीस प्रकार के भाषाविज्ञान के निरूपण और युक्तियुक्त विवेचन को अपने में समाविष्ट करती हे; तो: दूसरी ओर इसे नृतत्वविज्ञान, प्राणिविज्ञान, चिकित्साविज्ञान, पर्यावरणविशन, प्रजाति विज्ञान, शान्ति-अध्ययन, आनुपातिक अध्ययन, सांख्यिकी, धर्म, शिक्षा और दर्शन से जोड़कर स्वरूपित करती है। यह पुस्तक डी. 'शीतांशु' के भाषाविज्ञान- विषयक वर्षो के गहन अध्ययन-मनन और अध्यापन का सुपरिणाम है। निश्चय ही यह पुस्तक हिन्दी में भाषावैज्ञानिक चिन्तन और लेखन के एक बड़े अभाव की पूर्ति करती हैं तथा हिन्दी संसार को अद्यतन भाषाविज्ञान से परिचित कराने का श्रेय प्राप्‍त करती है।
अद्यतन भाषाविज्ञान के विभित्र प्रकारों का ज्ञान प्राप्त करने के. लिए हिन्दी में अकेली पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक!

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