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आलोचना >> बिहारी रत्नाकर

बिहारी रत्नाकर

जगन्नाथ दास रत्नाकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :360
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13079
आईएसबीएन :9788180319365

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इस टीका में अधिकांश दोहों के अर्थ अन्यान्य टीकाओं से भिन्न है। उनके यथार्थ होने की विवेचना पाठकों की समझ, रुचि तथा न्याय पर निर्भर है

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