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दिनकर रचनावली (खंड 1-14)

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :4000
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13093
आईएसबीएन :9788180315909

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वास्तव में इस छोटी-सी पुस्तक में प्रधानता बोध-कथाओं की है। इन कथाओं के कथानक कभी तो यूरोप में प्रचलित पुराणों से लिये गए हैं तो कभी चीन के दर्शनाचार्यों से

दिनकर जी की स्‍वराज्‍योत्‍तर कृतियों में गद्य की महिमा प्रखरता से निखरी है। स्वराज्य के बाद दिनकर जी के अनेक गद्य-ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। इनमें 'उजली आग' को किस कोटि में रखना ठीक है इसका निर्णय हिन्दी के आलोचक अब तक नहीं कर पाए हैं। वास्तव में इस छोटी-सी पुस्तक में प्रधानता बोध-कथाओं की है। इन कथाओं के कथानक कभी तो यूरोप में प्रचलित पुराणों से लिये गए हैं तो कभी चीन के दर्शनाचार्यों से किन्तु, कितने ही कथानक बिलकुल मौलिक हैं। इसके अतिरिक्त इस ग्रन्थ में कुछ विचारोत्तेजक काव्यंगन्धी निबन्ध भी हैं। सबसे विलक्षण निबन्ध 'नूतन काव्य-शास्त्र' है जिसकी शैली गद्यकाव्य की है किन्तु चिन्तन काव्यशास्त्रीय है।

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