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हिन्दी अनुदेश

विजयपाल सिंह

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :301
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13125
आईएसबीएन :9788180312670

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डॉ. विजयपाल सिंह का यह समसामयिक अध्ययन साहित्य के अध्येताओं और छात्रों को समान रूप से उपयोगी होगा

स्वातन्त्र्योत्तर काल में हिन्दी-साहित्य की सभी विधाओं ने एक परिपक्वता और प्रौढ़ता प्राप्त की है। प्रसिद्ध समालोचक डॉ. विजयपाल सिंह की नवीनतम कृति 'हिन्दी-अनुसंधानà से यह स्पष्ट हो जाता है कि साहित्यिक शोध ने भी एक वैज्ञानिक परिष्कार पा लिया है। शोध संबंधी पद्धति और प्रक्रिया का वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रस्तुतत करने के साथ ही 'हिन्दी-अनुसंधानà में पहली बार शोध की दो नवीन प्रणालियों-लोकतात्विक शोध व भाषातात्विक शोध पर विचार किया गया है। मर्मज्ञ साहित्य-मनीषी डॉ. विजयपाल सिंह का यह समसामयिक अध्ययन साहित्य के अध्येताओं और छात्रों को समान रूप से उपयोगी होगा।

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