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हिंदी कहानी की विकास प्रक्रिया

आनन्द प्रकाश

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :122
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13130
आईएसबीएन :0

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आनंद प्रकाश की यह पुस्तक इस माने में और भी महत्त्वपूर्ण हो उठी है कि इसमें कहानी से जुड़े हुए सामाजिक संदर्भो के सांस्कृतिक पक्ष को भी बार-बार रेखांकित किया गया है

हिंदी कहानी की विविध रंगों का दिग्दर्शन कराने वाली प्रस्तुत पुस्तक वस्तुतः उसी कड़ी की है, जिनके द्वारा हिंदी में कथा-समीक्षा को प्रतिमानन और वैज्ञानिक शब्द-संस्कार देने का प्रयत्न, आजादी के बाद के कथाकारों और युवा समीक्षकों की साझेदारी में शुरू किया गया था। आनंद प्रकाश की यह पुस्तक इस माने में और भी महत्त्वपूर्ण हो उठी है कि इसमें कहानी से जुड़े हुए सामाजिक संदर्भो के सांस्कृतिक पक्ष को भी बार-बार रेखांकित किया गया है। इतना ही नहीं हिंदी कहानी को उसकी पूरी परंपरा के साथ व्याख्यायित किया गया है। प्रेमचंद से लेकर हिंदी के नये से नये लेखक की चर्चा ही नहीं वरन नयी कहानी आन्दोलन के बाद फैशन के स्तर पर आये अनेक ऐसे आंदोलनों का भी जिक्र इसमें उपलब्ध है, जिन्हें हम भूल चुके है। कुल मिलाकर कथा-समीक्षा के निरंतर गहरे होते हुए विचार और संस्कार पक्ष को इस पुस्तक से बल मिलेगा, और द्ष्टि-कोण से जुडी विविधता का एक और आयाम पाठक के सामने आएगा।

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