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हिन्दी ललित निबंध : स्वरूप विवेचन

वेदवती राठी

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :199
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13134
आईएसबीएन :9788180317668

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हिन्दी ललित निबन्धों के स्वरूप के विविध पक्षों पर स्पष्ट विचार प्रस्तुत पुस्तक की विशिष्ट बनाते हैं

प्रस्तुत पुस्तक डॉ. वेदवती राठी, रीडर, हिन्दी विभाग के दस वर्षों के अध्यवसाय के फलस्वरूप लिखी गई है। अत: अब तक हिन्दी ललित निबन्ध के विषय में जो धारणाएँ व्यक्त की गई हैं, उनका समावेश तो प्रस्तुत पुस्तक में है ही, विविध प्रश्नों पर मौलिक चिन्तन करके अपना अभिमत देकर विदुषी लेखिका ने भरपूर चेष्टा की है कि ललित निबन्ध के विविध पक्षों पर गहन विश्लेषणाधृत विचार एक पुस्तक में मिल सकें। स्वाभाविक है कि प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी ललित निबन्ध विषय पर मील का पत्थर सिद्ध होगी। प्रस्तुत पुस्तक में अब तक उपलब्ध ज्ञान के विविध पक्षों से सम्बद्ध विषयों पर लेखिका के बेबाक विचार संकलित हैं। इसके निष्कर्ष प्रामाणिक एवं पर्याप्त सूझ-बूझ पर आधारित हैं। विचारों की स्पष्टता एवं भाषाभिव्यंजना की परिपक्वता देखते ही बनती है। लेखिका द्वारा इस पुस्तक के तैयार करने में जो गहन अध्यवसाय एवं असाधारण श्रम किया गया है, इसका अनुमान प्रस्तुत कृति को पढ़कर ही लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर हिन्दी ललित निबन्धों के स्वरूप के विविध पक्षों पर स्पष्ट विचार प्रस्तुत पुस्तक की विशिष्ट बनाते हैं।

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