लोगों की राय

यात्रा वृत्तांत >> लाहौर से लखनऊ तक

लाहौर से लखनऊ तक

प्रकाशवती पाल

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :205
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13184
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

"लखनऊ से लाहौर तक" में श्रीमती प्रकाशवती पाल ने ऐसी अनेक ऐतिहासिक घटनाओं और व्यक्तियों के संस्मरण प्रस्तुत किये हैं जिनसे उनका प्रत्यक्ष और सीधा संपर्क रहा है

"लखनऊ से लाहौर तक" में श्रीमती प्रकाशवती पाल ने ऐसी अनेक ऐतिहासिक घटनाओं और व्यक्तियों के संस्मरण प्रस्तुत किये हैं जिनसे उनका प्रत्यक्ष और सीधा संपर्क रहा है। संस्करण क्रम-बद्ध रूप में 1929 से शुरू होते हैं। उस वर्ष सरदार भगत सिंह ने देहली एसेम्बली में बम फैंका था। लाहौर कांग्रेस में आजादी का प्रस्ताव भी उसी वर्ष पास हुआ था। क्रांतिकारी आन्दोलन में प्रकाशवती ही किशोरावस्था ही में शामिल हो गयीं थीं। अनेक संघर्षों और खतरनाक स्थितियों के बीच में चंद्रशेखर आजाद, भगवतीचरण, यशपाल आदि क्रांतिकारियों के निकट संपर्क में आयीं। एक अभूतपूर्व घटना के रूप में 1936 में उनका विवाह बंदी यशपाल से जेल के भीतर समपन्न हुआ। इन और ऐसी अनेक स्मृतियों को समेटते हुए ये संस्मरण आजादी की लड़ाई और बाद के अनेक अनुभवों को ताजा करते हैं, साथ ही अनेक राजनीतिज्ञों, क्रांतिकारियों और प्रसिद्ध साहित्यकारों के जीवन पर सर्वथा नया प्रकाश डालते हैं। यह पुस्तक पिछले पैसठ वर्ष के दौरान राजनीति और साहित्य के कई अल्पविदित पक्षों का आधिकारिक, अत्यंत महत्त्पूर्ण और पठनीय दस्तावेज हैं।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book