लोगों की राय

कहानी संग्रह >> पाँचवाँ दस्ता और सात कहानियाँ

पाँचवाँ दस्ता और सात कहानियाँ

अमृतलाल नागर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13233
आईएसबीएन :9788180313012

Like this Hindi book 0

इस संग्रह की रचनाएँ नागरजी के विस्तृत कथा-संसार की बहुरंगी झाँकियाँ प्रस्तुत करने के साथ ही उनके सामाजिक सरोकारों तथा उनकी संवेदनाओं से साक्षात्कार कराती हैं

पाँचवाँ दस्ता और सात कहानियों में बीसवीं सदी के बहुत बड़े गद्यशिल्पी के रूप में जाने-माने रचनाकार अमृतलाल नागर की 1945 से 1970 के कालखंड की कुछ चुनी हुई कहानियाँ संकलित हैं। नागरजी की कहानियों में किस्सागोई का तत्व प्रबल रूप से मौजूद है। उनका कहना था 'मेरा मालिक आम पाठक है जिसमें अमीर भी है और गरीब भी।' इसलिए किस्सागोई की रुचि को मैंने जनरुचि और जनरुचि को किस्सा बनाकर ही पेश करने की कोशिश की। रामविलास शर्मा के अनुसार 'देश के एकीकरण में नागरजी का योगदान यह है कि अपने कथा-साहित्य ने ढेर सारे मुसलमान पात्रों को जगह देकर, उन्हें हिन्दी जातियता में भागीदार दिखाकर, उन्होंने साम्प्रदायिक अलगाववाद पर जबर्दस्त प्रहार किया है और राजनीतिज्ञों का मार्गदर्शन किया है।' इस संग्रह की रचनाएँ नागरजी के विस्तृत कथा-संसार की बहुरंगी झाँकियाँ प्रस्तुत करने के साथ ही उनके सामाजिक सरोकारों तथा उनकी संवेदनाओं से साक्षात्कार कराती हैं।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book