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श्रेष्ठ बाल कहानियां

सं. बालशौरि रेड्डी

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :599
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13315
आईएसबीएन :818031023X

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प्रस्तुत पुस्तक में १२ भारतीय भाषाओं की १३१ बाल कहानियों का चयन किया गया है

आज विश्व में १५ वर्ष की आयु के भीतर के बच्चे २०० करोड़ हैं। विश्व की आबादी में इनकी संख्या एक तिहाई है। जलवायु, वेषभूषा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान की दृष्टि से भले ही उनमें भिन्नता दर्शित होती हो, किन्तु उनके विचार और सोच एक समान है। बच्चे स्वभावत: परस्पर धर्म, जाति, वर्ण, वर्ग, सम्प्रदाय को लेकर भेदभाव नहीं रखते। उनका दिल स्वच्छ, कागज की भांति निर्मल होता है। उनमें हम जैसे संस्कार डालते हैं, उन्हीं के अनुरूप उनका चरित्र बनता है। उनके शारीरिक विकास के लिए जैसे बलवर्धक आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार उनके बौद्धिक विकास के लिए उत्तम साहित्य की नितांत आवश्यकता है।
बच्चों में कहानी सुनने की प्रवृत्ति जन्मजात है। आयु की वृद्धि के साथ उनमें कहानी पढ़ने की रुचि और प्रवृत्ति भी बढ़ती जाती है। अत: उनकी रुचि के पोषण एवं परिष्कार के लिए स्वस्थ साहित्य एक सबल माध्यम बन सकता है।
भारतीय भाषाओं में सर्वप्रथम संस्कृत में बाल साहित्य का प्रादुर्भाव हुआ। पंचतंत्र, हितोपदेश इत्यादि विश्व के अमर साहित्य में अपना अनुपम स्थान रखते हैं। कालांतर में देश की अन्य भाषाओं में बाल साहित्य का सृजन हुआ। आज भारत की प्राय: समस्त भाषाओं में उत्तम बाल साहित्य का सृजन एवं प्रकाशन हो रहा है।
प्रस्तुत पुस्तक में १२ भारतीय भाषाओं की १३१ बाल कहानियों का चयन किया गया है।

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