संस्मरण >> ठेले पर हिमालय ठेले पर हिमालयधर्मवीर भारती
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ठेले पर हिमालय में अपने समय और परिवेश को देखने की एक सजग कोशिश है-और शायद इसीलिए इसका ऐतिहासिक महत्व भी है इसमें संग्रहीत रचनाओं में भारती जी का अन्तरंग तो मुखर है ही उनका समकालीन बहिरंग भी पूरी गम्भीरता और आत्मीयता के साथ उजागर है।
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