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फीचर लेखन: स्वरूप और शिल्प

मनोहर प्रभाकर

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13461
आईएसबीएन :9788171198412

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इस पुस्तक के जरिये फीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है

श्री माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी कलम चलाई थी। वे देश की स्वतन्त्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमारी परम्परा में हमेशा रहा है। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल पत्रकारिता और साहित्य को दो अलग-अलग खाँचों में बाँटा जाता है। इस विभाजक रेखा को भी लाँघनेवाली विधाएँ हैं। उनमें से कुछ हैं—फीचर, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तान्त एवं संस्मरण। इस पुस्तक के जरिये फीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है कि इससे पाठक साहित्य और पत्रकारिता की विभाजक रेखा को जोड़कर इन दोनों के सम्मिश्रण को नए सिरे से स्थापित कर सकेंगे। फीचर लेखन जितनी अधिक मात्रा में होगा, उतनी ही मात्रा में साहित्य और पत्रकारिता को जनमानस में भी जुड़ा हुआ देखने की प्रवृत्ति विकसित होगी। डॉ. मनोहर प्रभाकर ने, जो स्वयं उच्च कोटि के फीचर लेखक रहे हैं और जिन्होंने राजस्थान पत्रिका, नवज्योति एवं अन्य समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपने लेखन कौशल को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है, इस पुस्तक में अपने अनुभवों का सार इस ढंग से प्रस्तुत किया है कि उसे सरलता से व्यवहार में लाया जा सके।

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