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कविता संग्रह >> क्या क्या टूट गया भीतर

क्या क्या टूट गया भीतर

मनोज कुमार शर्मा

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13527
आईएसबीएन :8171199984

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कवि मनोज कुमार शर्मा ने सामाजिक टूटन की अंतर्व्यथा को बड़ी सादगी से दर्ज किया है इन कविताओं में

क्या-क्या टूट गया भीतर - जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं, विचारों, अपनी विवशता और व्यवस्था की अच्छी-बुरी चीजों को आधार बनाकर लिखी गई कविताओं का संग्रह है - ‘क्या-क्या टूट गया भीतर’। कवि मनोज कुमार शर्मा ने सामाजिक टूटन की अंतर्व्यथा को बड़ी सादगी से दर्ज किया है इन कविताओं में। इनकी प्रतिभा इनके अढ़ाये में परिलक्षित होती है जिसमें दो-टूक शब्दों में इन्होंने सामाजिक विद्रूपताओं और विडम्बनाओं पर व्यंग्य किया है। पाठक स्वयं पढ़कर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं। निश्चय ही यह कविता-संग्रह पठनीय और संग्रहणीय कृति है।

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