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तेनालीराम की अनोखी दुनिया

अशोक महेश्वरी

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13646
आईएसबीएन :9789381864104

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दक्षिण भारत के गुंटूर जिले के गली पाडु नामक कस्बे में एक सामान्य गृहस्थ के घर में तेनालीराम का जन्म हुआ था।

दक्षिण भारत के गुंटूर जिले के गली पाडु नामक कस्बे में एक सामान्य गृहस्थ के घर में तेनालीराम का जन्म हुआ था। उसके माता-पिता बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे जिसके कारण उन्होंने अपने पुत्र का नाम रामलिंगम रखा। तेनालीराम यानी रामलिंगम अभी बहुत छोटा था, तभी उसके पिता का निधन हो गया। रामलिंगम की माता पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वे अपनी ससुराल ‘गलीपाडु’ से अपने भाई के पास लौट आईं। उनका भाई ‘तेनाली’ नामक कस्बे में रहता था। तेनाली में रामलिंगम सामान्य बच्चों की तरह ही खेलता-पढ़ता हुआ बड़ा होने लगा। उसे गुरु के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा गया, उस समय किसी ने सोचा न था कि अपनी मेधा के बल पर तेनालीराम ऐसी ख्याति अर्जित करेगा कि सदियों, सहस्त्राब्दियों तक लोग उसकी बुद्धि, न्यायप्रियता और हाजिर जवाबी की कहानियाँ कहते रहेंगे। अपनी कुशाग्रबुद्धि और मिलनसारिता के गुणों के कारण तेनालीराम बचपन में ही लोगों के आकर्षण का केन्द्र हो गए थे। मूलनाम रामलिंगम तो था ही, गुरुकुल में उसे तेनाली वाला रामलिंगम कहा जाने लगा और बाद में यही तेनालीराम बन गए। तेनालीराम के बुद्धि-बल को लेकर इतनी किंवदन्तियाँ हैं जिनसे लगता है कि तेनालीराम जैसा कुशाग्रव्यक्ति दक्षिण भारत में न उनके पहलेजन्मा था और न बाद में।

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