आलोचना >> तुलसी तुलसीसं. उदयभानु सिंह
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साहित्य मनीषी पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी का मत है कि ''तुलसीदास के काव्य में उनका निरीह भक्त-रूप बहुत स्पष्ट हुआ है, पर वे समाज-सुधारक, लोकनायक, कवि, पंडित और भविष्य-दृष्टा भी थे।
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