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आलोचना >> विनोद कुमार शुक्ल: खिड़की के अंदर और बाहर

विनोद कुमार शुक्ल: खिड़की के अंदर और बाहर

योगेश तिवारी

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13668
आईएसबीएन :9788183616102

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नमें बिलकुल नए तरीके से उपन्यास की अंतर्वस्तु और अभिव्यक्ति का आलोचनात्मक अध्ययन है।

दीवार में एक खिड़की रहती थी' यशस्वी कटी-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल का सुप्रसिद्ध उपन्यास है। योगेश तिवारी ने 'विनोद कुमार शुक्ल : खिड़की के अन्दर और बाहर' में इस उपन्यास का गंभीर विश्लेषण किया है। पुस्तक में पांच अध्याय हैं-गरीबी में भी सुख, महाविद्यालय की वापसी, पर्यावरण संवेदना, भाषा की अर्थ-छटाएँ और कितना सुख था। इनमें बिलकुल नए तरीके से उपन्यास की अंतर्वस्तु और अभिव्यक्ति का आलोचनात्मक अध्ययन है। लेखक ने प्रामाणिकता और तर्क पद्दति का विशेष ध्यान रखा है। योगेश तिवारी ने इस बहुचर्चित उपन्यास पर विभिन्न आलोचकों द्वारा प्रस्तुतु विचारों को भी ध्यान में रखा है। आवश्यकतानुसार उनसे संवाद य प्रतिवास भी क्या है। इसी प्रकिया में विनोद कुमार शुक्ल के लेखन की विशिष्टता रेखांकित होती है।

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