Bharatendu Yug Aur Hindi Bhasha Ki Vikas Parampara - Hindi book by - Ramvilas Sharma - भारतेंदु युग और हिंदी भाषा की विकास परम्परा - रामविलास शर्मा
लोगों की राय

आलोचना >> भारतेंदु युग और हिंदी भाषा की विकास परम्परा

भारतेंदु युग और हिंदी भाषा की विकास परम्परा

रामविलास शर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :352
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13757
आईएसबीएन :9788126712571

Like this Hindi book 0

भारतेंदु युग हिंदी साहित्य का सबसे जीवंत युग रहा है।जिसमें उनकी राष्ट्रीय और जनवादी दृष्टि का उन्मेष है।

भारतेंदु युग हिंदी साहित्य का सबसे जीवंत युग रहा है। सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक-आर्थिक हर मुद्दे पर तत्कालीन रचनाकारों ने ध्यान दिया और अपना अभिमत व्यक्त किया, जिसमें उनकी राष्ट्रीय और जनवादी दृष्टि का उन्मेष है। वे साहित्यकार अपने देश की मिटटी से, अपनी जनता से, उस जनता की आशा-आकांक्षाओं से जुड़े हुए थे, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण उनकी रचनाएँ हैं। लेकिन उनकी, उनके युग की इस भूमिका को सही परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने का प्रयास पहली बार डॉ. रामविलास शर्मा ने ही किया। वे ही हिंदी के पहले आलोचक हैं, जिन्होंने भारतेंदु-युग में रचे गए साहित्य के जनवादी स्वर को पहचाना और उसका संतुलित वैज्ञानिक मूल्यांकन किया। प्रस्तुत पुस्तक इसीलिए ऐतिहासिक महत्त्व की है कि उसमें भारतेंदु-युग कि सांस्कृतिक विरासत को, उसके जनवादी रूप को पहली बार रेखांकित किया गया है। लेकिन पुस्तक में जैसे एक ओर उस युग में रचे गए साहित्य की मूल प्रेरणाओं और प्रवृत्तियों का विवेचन है, वैसे ही दूसरी ओर प्रायः तीन शताब्दियों के भाषा-सम्बन्धी विकास की रूपरेखा भी प्रस्तुत है, जो डॉ. शर्मा के भाषा-सम्बन्धी गहन अध्ययन का परिणाम है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book