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हिंदुत्व का मोहिनी मंत्र

बद्री नारायण

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13903
आईएसबीएन :9788126726745

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हिन्दुत्व का मोहिनी मंत्र' पुस्तक हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा दलितों को अपनी तरफ खींचने की मोहक रणनीतियों का विखंडन दिखाती है

भारत के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में दलित एक बड़ी चुनावी ताकत के रूप में उभरकर आए हैं और लगभग सभी राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करें। 'हिन्दुत्व का मोहिनी मंत्र' पुस्तक हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा दलितों को अपनी तरफ खींचने की मोहक रणनीतियों का विखंडन दिखाती है कि कैसे ये ताकतें दलित जातियों के लोकप्रिय मिथकों, स्मृतियों और किंवदन्तियों को खोजकर उनकी हिन्दुत्ववादी व्याख्या करती हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में किए गए मौलिक शोध पर आधारित इस पुस्तक में बताया गया है कि दलित नायकों को मुस्लिम आक्रान्ताओं के विरुद्ध लडऩे वाले योद्धाओं के रूप में प्रस्तुत करते हुए हिन्दुत्ववादी शक्तियाँ उन्हें हिन्दू धर्म और संस्कृति के रक्षकों के रूप में पुनव्र्याख्यायित करती हैं, या फिर उन्हें राम का अवतार बताकर दलित मिथकों को एक बड़े और एकीकृत हिन्दू महावृत्तान्त से जोडऩे का प्रयास करती हैं। लेखक ने पुस्तक में उत्तर भारत के ग्रामीण समाज में 'पापुलर' की संरचना और उसमें पिरोए गए साम्प्रदायिक तत्त्वों को भी समझने की कोशिश की है। सबसे दिलचस्प तथ्य पुस्तक में यह निकलकर आता है कि दलितों के अतीत की हिन्दुत्ववादी पुनव्र्याख्या को दलित समुदाय एक शक्तिशाली पूँजी के रूप में लेते हैं जिसे वे एक तरफ ऊपरी जातियों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने और दूसरी तरफ सवर्ण प्रभुत्व को क्षीण करने के लिए साथ-साथ इस्तेमाल करते हैं। इतिहास, राजनीति, नृतत्वशास्त्र और दलित अध्ययन में रुचि रखने वाले छात्रों, शोधार्थियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से उपयोग पुस्तक।

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