लोगों की राय

उपन्यास >> महाभारत के महारण्य में

महाभारत के महारण्य में

प्रतिभा बसु

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :151
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14021
आईएसबीएन :8126711051

Like this Hindi book 0

इस ग्रंथ में धर्म भी कुछ नहीं, अधर्म भी कुछ नहीं। जो है वह केवल सुविधावादी का सुविधाभोग।

‘‘महाभारत नामतः भरतवंश का इतिहास होकर भी, वस्तुतः सत्यवती-द्वैपायन के वंश का इतिहास है। इस ग्रंथ में धर्म भी कुछ नहीं, अधर्म भी कुछ नहीं। जो है वह केवल सुविधावादी का सुविधाभोग। विदुर-युधिष्ठिर जैसे धार्मिक लोग एवं ईश्वर के प्रतिभू कूट-दक्ष बहुसंख्य आज भी हमारे चारो ओर विराजमान हैं। दुर्योधन स्वभाव से ही कुछ संयत एवं सहिष्णु चरित्र के हैं। प्रचार की महिमा से ठीक इसके विपरीत लोग विश्वास करते आए हैं। कुरुक्षेत्र का ‘धर्मयुद्ध’ कितनी दूर अधर्म के यूपकाष्ठ में बलि हो सकता है, यह जानकर स्तम्भित होना पड़ता है। जिस भारत में आज भी जातिभेद प्रबल है, उच्च और निम्नवर्ग का भेद शरीर के रंग में प्रतिकारित है, वहाँ क्षत्रियों की इस कहानी में सर्वत्र काले रंग का आधिपत्य दिखेगा - शुद्ध रक्त की चूड़ान्त पतन और विलोप।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book