लोगों की राय

कहानी संग्रह >> पादरी माफी मांगो

पादरी माफी मांगो

शरद चंद्रा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14108
आईएसबीएन :9788126716869

Like this Hindi book 0

कहानी में नएपन और भाषिक तथा संवेदनात्मक ताजगी चाहनेवाले पाठकों को यह संग्रह निश्चित रूप से पसंद आएगा।

सटीक शब्दों का चुनाव, चुस्त वाक्य और संवेदना को भाषा का बाना देने का कौशल-ये चीजें इन कहानियों को पढ़ते हुए सबसे पहले ध्यान खींचती हैं, खासतौर से इसलिए कि इधर की हिन्दी कहानी में अकसर इन चीजों का, एक समर्थ भाषा का अभाव खटकता है। ये कहानियाँ एक सधे हुए हाथ से उतरी हुई रचनाएँ हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी 'पादरी, माफी माँगो ' धार्मिक कट्‌टरता और एकांगिता पर हिन्दी की कुछ श्रेष्ठ कथा-रचनाओं में गिनने योग्य है। जहाँ तक विषय-वस्तु का सवाल है, ये कहानियाँ जैसे पूरे समाज, और व्यक्ति के समूचे मनोसंसार को कहीं-न-कहीं छूती हैं। कहानी एक सजीव इकाई की तरह जैसे अपनी आँख से हमें हमारी दुनिया का दर्शन कराती है, लेखक बस एक निमित्तभर है। मसलन 'अम्मां' कहानी में एक भी वाक्य अपनी तरफ से कहे बगैर सिर्फ स्थितियों और घटनाओं के अंकन से ही उस हृदय-विदारक पीड़ा को संप्रेषित कर दिया जाता है जिसके कारण कहानी का बीज पड़ा होगा। समकालीन समाज की भौतिक और नैतिक विडम्बनाओं को रेखांकित करना कहानीकार का प्रधान प्रेरक बिन्दु है जो 'दूसरा वर्ग', 'बेड नं. दस', 'वक्त की कमी' और 'जोंक' के साथ सभी कहानियों में किसी-न-किसी रूप में उजागर हुआ है। कहानी में नएपन और भाषिक तथा संवेदनात्मक ताजगी चाहनेवाले पाठकों को यह संग्रह निश्चित रूप से पसंद आएगा।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book