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नाटक-एकाँकी >> पहला राजा

पहला राजा

जगदीश चंद्र माथुर

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :116
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14113
आईएसबीएन :0

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पहला राजा की कथा एक पौराणिक आख्यान पर आधारित है, जिसमें प्रकृति और मनुष्य के बीच सनातन श्रम-संबंधों की महत्ता को रेखांकित किया गया है।

जगदीशचन्द्र भासुर का नाम हिंदी नाट्‌य साहित्य आधुनिक और प्रयोगशील नाटककार के रूप में समादृत है, और पहला राजा उनकी में एक अविस्मरणीय नाट्‌यकृति के रूप में बहुचर्चित। पहला राजा की कथा एक पौराणिक आख्यान पर आधारित है, जिसमें प्रकृति और मनुष्य के बीच सनातन श्रम-संबंधों की महत्ता- को रेखांकित किया गया है। यह उन दिनों की कथा है जब आर्यों को भारत में आए बहुत दिन नहीं हुए थे और हड़प्पा-सभ्यता के आदि निवासियों से उनका संघर्ष चल रहा था। कहते हैं उन दिनों राजा नहीं थे, जब वेन-जैसे उद्दंड व्यक्ति के शव-मंथन से पृथु जैसा तेजस्वी पुरुष प्रकट हुआ और कालांतर में मुनियों द्वारा उसे पहला राजा घोषित किया गया। पृथु यानी पहला राजा। राजा, यानी जो लोकों और प्रजा का अनुरंजन करे। पृथु ने अपनी पात्रता सिद्ध की अर्थात् उसके हाथ धरती को समतल बनाकर उसे दोहनेवाले सिद्ध हुए। परिणामत: धरती को भी एक' नया नाम मिला- पृथ्वी! निश्चय ही यह एक अत्यंत चित्ताकर्षण और अर्थपूर्ण नाट्‌यकृति है।

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