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प्रतिनिधि कहानियाँ: भीष्म साहनी

भीष्म साहनी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14163
आईएसबीएन :9788126703326

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यहाँ उनके साथ कहानी-संग्रहों से प्रायः सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है।

भीष्म साहनी के कथा-साहित्य से गुजरना अपने समय को बढ़ते हुए गुजरना है। हिंदी के प्रगतिशील कहानीकारों में उनका स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ उनके साथ कहानी-संग्रहों से प्रायः सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है। युग-सापेक्ष सामाजिक यथार्थ, मूल्यपरक अर्थवत्ता और रचनात्मक सादगी-इन कहानियों के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो हमारे लिए किसी भी काल्पनिक और मनोरंजक दुनिया को निषिद्ध ठहराते हैं। विभिन्न जीवन-स्थितियों में पड़े इनके असंख्य पत्र आधुनिक भारतीय समाज की अनेक जटिल परतों को पाठकों पर खोलते हैं। उनकी बुराइयाँ, उनका अज्ञान और उनके हालत व्यक्तिगत नहीं, सार्वजनीन और व्यवस्थाजन्य हैं। इसके साथ ही इन कहानियों में ऐसे चरित्रों की भी कमी नहीं, जो गहन मानवीय संवेदना से भरे हुए हैं और अपने-अपने यथास्थितिवाद से उबरते हुए एक सार्थक सामाजिक बदलाव के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं। वे न तो अपनी भयावह और दारुण दशा से आक्रांत होते हैं, न निराश, बल्कि अपने साथ-साथ पाठकों को भी संघर्ष की एक नई उर्जा से भर जाते हैं।

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