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प्रतिनिधि कहानियाँ : मृदुला गर्ग

मृदुला गर्ग

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14176
आईएसबीएन :9788126730568

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मृदुला गर्ग की कहानियाँ पाठक के लिए इतना 'स्पेस' देती हैं कि आप लेखक को गाइड बना तिलिस्म में नहीं उतर सकते, इसे आपको अपने अनुसार ही हल करना पड़ता है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित मृदुला गर्ग का कथा संसार विविधता के अछोर तक फैला हुआ है ! उनकी कहानियाँ मनुष्य के सारे सरोकारों से गहरे तक जुडी हुई हैं ! समाज, देश, राजनीतिक माहौल, सामाजिक वर्जनाओं, पर्यावरण से लेकर मानव मन कि रेशे-रेशे पड़ताल करती नजर आती हैं ! इस संकलन कि कहानियाँ अपने इसी 'मूड' या मिजाज के साथ प्रस्तुत हुई हैं ! मृदुला गर्ग की कहानियाँ पाठक के लिए इतना 'स्पेस' देती हैं कि आप लेखक को गाइड बना तिलिस्म में नहीं उतर सकते, इसे आपको अपने अनुसार ही हल करना पड़ता है। यही कारण है कि बने-बनाए फॉरमेट या ढर्रे से, ऊबे बगैर, आप पूरी रोचकता, कौतूहल और दार्शनिक निष्कर्ष तक पहुँच सकते हैं। गलदश्रुता के लिए जगह न होते हुए भी आपकी आँखें कब नम हो जाएँ, यह आपके पाठकीय चौकन्ने पर निर्भर करता है। यही मृदुला गर्ग की किस्सागोई का कौशल या कमाल है, जहाँ लिजलिजी भावुकता बेशक नहीं मिलेगी, पर भावना और संवेदना की गहरी घाटियाँ मौज़ूद हैं, एक बौद्धिक विवेचन के साथ।

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